एनकाऊंटर टा्ईम्स : पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा को ‘बहुत देर से उठाया गया लेकिन स्वागत योग्य कदम’ करार दिया। उन्होंने राज्य में किसान आंदोलन के नाम पर एक स्मारक बनाने का भी वादा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की और कहा कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़े मुद्दों पर एक समिति बनाने की भी घोषणा की।
चन्नी ने कहा कि अगर मोदी ने यह फैसला बहुत पहले ले लिया होता तो कई लोगों की जान बच जाती। किसानों पर ‘इन काले कृषि कानूनों को मनमाने ढंग से थोपने’ के लिए केंद्र को दोषी ठहराते हुए, चन्नी ने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को यह स्वीकार करना चाहिए कि उसने इन विधेयकों को लाकर एक बड़ी गलती की है, जिसके लिए वह पिछले डेढ़ साल में शायद ही कभी झुकी।’ किसान नेताओं ने दावा किया कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान लगभग 700 किसानों की जान चली गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब जब प्रधानमंत्री ने इन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, तो उन्हें किसानों को ‘उनके जीवन की क्षति और संपत्ति के भारी नुकसान’ के लिए पर्याप्त रूप से मुआवजा देना चाहिए। इसी तरह, उन्होंने ‘किसान मोर्चा’ के दौरान राज्य को वित्तीय और संपत्ति के नुकसान के लिए मुआवजे की भी मांग की।
चन्नी ने मोदी के बयान का जिक्र करते हुए कहा, ‘यह किसानों के आंदोलन की जीत है।’ उन्होंने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए कानून बनाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों के पीड़ित परिवारों को नौकरी दे रही है, साथ ही आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दे रही है।
चन्नी ने यह भी कहा कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर स्मारक बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद अगर कोई बड़ा संघर्ष हुआ तो उसने देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत किया। चन्नी ने यह भी मांग की कि केंद्र उस अधिसूचना को वापस ले, जिसके जरिये सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 कर दिया गया है। कृषि कानूनों को लेकर अकाली और बीजेपी नेतृत्व की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने उनसे पूछा कि वे ‘किस मुंह के साथ’ लोगों के पास जाएंगे।